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Writer's pictureSuman Sharma

शहर को दोष न दो !


गाँव में मिट्टीभी ,

ऐसी माँ बनजाती है,

जोअमीर गरीब पर

एक सा प्यार लुटाती है।

मिट्टी के कच्चे घर या

हो ईंट की दीवार ,

शिवप्रसाद सी ममता

सबके हिस्से आतीहै।


शहर में माएँ मशीन बन,

कमाती है पैसा ,

प्रेम और ममता के

विशाल वटवृक्ष को

जड़ों से काटकर ,

गगनचुंबी इमारतों के

मंहगे फ्लैट्स में

बोंसाई बनाकर ,

सजाना चाहती है ।


आप शहरों को क्यों

दोष देते हैं जनाब !

चाहिए शांति व सुकून !

तो जुड़िए न , जमीन से!

सच्चाई और ईमानदारी से ,

पल दो पल निस्वार्थ

भाव से बाँट दीजिए

अपना अनमोल समय

उस जमीन को जिसे

बंजर समझते है आप ।

देखना शहर की मिट्टी भी

देहातन बन सुकून दे जाती है।


पूछो अपने दिल से ,

माँगों जवाब बार - बार!

कहीं किसी गाँव को

शहर बनाने में ,

कारोबार लगाने में ,

किसी गाँव का आप पर

शेष तो नहीं उधार !

जब तक न मिले उत्तर ,

नतीजे पर बिना पहुँचे ,

गाँव सुकून देता है ,कहकर

शहर को दोष न दो ।

शहर से भी प्यार का

अपनेपन का नाता जोड़ो ।


- सुमन संदेश शर्मा

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santosh parandwal
santosh parandwal
May 25, 2023

अतिसुंदर.... साष्टांग प्रणिपात 💐🙏

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