वर्षा, छतरी और डंडा
- Suman Sharma
- Jul 2, 2023
- 4 min read
Updated: Aug 13, 2023

लघु कथा (बाल साहित्य)
वर्षा, छतरी और डंडा
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर हर्ष ने माता- पिता के पैर छूते हुए कहा –
" गुरू ब्रम्हा गुरु विष्णु गुरु दैवे महेश्वर
गुरु साक्षात पर ब्रम्हा तस्मै श्री गुरुवे नमः। " और एक ग्रीटिंग कार्ड माँ के हाथों में दे दिया।
" खुश रहो! , खूब तरक्की करों , सूर्य जैसे प्रखर और तेजस्वी बनों । " आशीर्वाद देते हुए माँ बोली ," बेटा , गुरु पूर्णिमा पर मुझे क्यों यह? "
हर्ष माँ को सोफे पर बैठाते हुए बोला , "माँ ही तो प्रथम गुरु होती हैं न , इसलिए ! अब मैं विद्यालय जाने की तैयारी कर लेता हूँ । हम सब विद्यार्थियों ने मिलकर एक कार्यक्रम आयोजित किया है अपने सभी अध्यापको के लिए। "
हर्ष विद्यालय के लिए निकल ही रहा था कि दादाजी व दादीजी मंदिर से घर पहुँचे। दादाजी जी के साथ उनके एक मित्र शर्माजी भी थे। दादी ने माँ और पिताजी को प्रसाद देते हुए साथ आए अंकल का परिचय देना चाहा इसके पहले ही हर्ष के पिताजी प्रकाश , बोल पड़े , " आइए ,आइए चाचाजी , प्रणाम ! "
माँ ने भीदोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में जोड़ लिए ।
दादा जी बोले ,"प्रकाश,जानते हो ,तुम्हारे महेश अंकल परेशान थे ,आज इनके ड्राइवर साहब छुट्टी पर हैं और इनकों जरुरी काम से बाम्बे सैंट्रल जाना था तो मैंने कहा प्रकाश को अभी जाना हीं है उनके साथ चले जाइए । " ठीक है न ?
हर्ष बीच में ही बोल पड़ा , दादाजी कार पुलिंग तो पर्यावरण के लिए भी बहुत जरुरी है। वाह ! मैं तो गुरुजी को बताऊँगा। हम कार पुलिंग करके ईंधन की बचत करते हैं। पिताजी आप दादू अंकल के साथ मुझे भी एस .वी रोड छोड दें ,वहाँ से मैं पैदल ही चला जाऊँगा ।
कार में बैठते ही हर्ष ने किताब खोल ली तो दादू अंकल ने कहा , " हर्ष कोई परीक्षा हैं क्या? चिंतित दिख रहे हो ?" हर्ष बोला दादू अंकल ,आज हिंदी विषय की अध्यापिका ने श्रुतलेखन लेनेवाली हैं और मुझसे र वाले शब्द कई बार गलत दो जाते हैं जबकि मेरे नाम में भी तो र की मात्रा है।
बस इतनी सी बात !
"दादू अंकल ! आपको यह इतनी सी बात लगती है? हम सब विद्यार्थियों के लिए तो आफत है ! क्या आप हमें समझा सकते है र के भिन्न भिन्न रूप ?
बिल्कुल! लेकिन हर्ष इसके लिए तुम्हें भी मेरा काम करना होगा । मैंने आज बहुत खरीदारी कर ली है और मुझे भविष्य निधि कार्यालय में पूछताछ करने भी जाना है , तो क्या तुम मेरा यह सामान छतरी, चप्पल और डंडा संभाल कर रखोगे? मैं कल सुबह मंदिर से लौटते वक्त वापस ले लूँगा ।
ठीक है , दादू ! दीजिए , छतरी चप्पल और डंडा।
प्रकाश ने कहा, चाचाजी चलिए , मैं गाड़ी निकालता हूँ और हर्ष तुम भी दादू का यह सामान सहेजकर रखो और जल्दी आ जाओ।
ड्राइवर की सीट पर बैठते हुए प्रकाश ने सबको सीट बेल्ट बांध ने का आग्रह किया।
हर्ष ने पूछा , "दादू अंकल , अब बताइए भी र कार ।
शर्माजी मुस्कुराते हुए बोले, छतरी चप्पल और डंडा याद है न! र का वह रूप जो अक्षर के ऊपर अर्थात शिरोरेखा पर लगे उसे रेफ कहते हैं । इस रेफ को याद रखने के लिए छतरी याद रखो।
चप्पल पैरों में पहनते हैं इसलिए अक्षरों के पैर अर्थात पद में लगाने वाले र कार को पदेन कहा जाता है।
और डंडा ?
दादू मुस्कुराते हुए बोले , खड़ी पाई वाले अक्षर में पदेन का रूप अन्य अक्षरों से भिन्न है बस उसी को याद रखने के लिए डंडा याद रख सकते हो।
आज से अपने इस दादू अंकल की छतरी ,चप्पल और डंडा याद रखना , र- कार गलत नहीं होगा । "
हर्ष के साथ- साथ उसके पिता प्रकाश जी भी उछल पड़े । एक़ साथ बोल पड़े - "छतरी ,चप्पल . और डंडा !
वाह! कितना दिलचस्प है न !
दादू अंकल बोले, हाँ र एक व्यंजन है और जब आधे र का उच्चारण होता है तब वह वह छतरी की तरह बन अगले वर्ण के सिर पर लग जाता है । ठीक है?
जैसे कर्म ,धर्म , शर्म । समझे हर्ष ?
बिल्कुल सही!
अच्छा, प्रकाश ! यह तो बताओं यह नरम - नरम कुशन कहाँ से खरीदा हैं? बड़ा अच्छा है !
हर्ष ने दादू अंकल से पूछा , आप नर्म को नरम क्यों कह रहे हैं ?
वाह ! यह हुई न बात ! हर्ष तुम बहुत ही होशियार विद्यार्थी हो ,अब बताता हूँ । देखो जब मैंने नरम उच्चारण किया तो इसमें र एक पूर्ण वर्ण है, किंतु जब मैंने नर्म कहा तो आधे र का उच्चारण हुआ । लेखन में आधा र अपने उच्चारण स्थान के अगले वर्ण के सिर पर अर्थात शिरोरेखा के ऊपर लगाया जाता है, तुम याद रखने के लिए इसे र कार वाली छतरी कह लो। " वाह! दादू अंकल यह तो कमाल है - र कार वाली छतरी ! "
हर्ष मुस्कुराते हुए बोला, "दादू इस डंडे से क्या याद रखें?
दादू बोले , " हर्ष , र् ( आधे र ) को जब खड़ी पाई वाले अक्षर लगाना हो तो उसे उस अक्षर के पैर में तिरछा लगता है। जैसे क्रम ,
ग्रह ।
अन्य शब्दों में पदेन का दूसरा रूप है जैसे ट्रक या राष्ट्र ।
वाह ! दादू अंकल , आपने तो सच में मेरी। समस्या हल कर दी । मैं आज अपने सभी सहपाठियों को भी इसके बारे में बताऊँगा।
शुक्रिया ! शुक्रिया !
मैं इस छतरी और चप्पल को यूँ याद रखूंगा ,अपने दोस्तों को भी यह तरीका बताऊँगा , वैसे दादू अंकल र कार के रेफ व पदेन रूप तो मेरे नाम में भी हैं , हर्ष प्रकाश अग्रवाल।
हर्ष बेटा ! हमारा घर तो आ गया, अब सर कार के बारे में कुछ और जानना चाहते हो तो मुझे फोन जरूर करना।
लेखिका
सुमन संदेश शर्मा
मुंबई
सर्वाधिकार सुरक्षित
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