जिदंगी है तो प्राण का,
लय में धडकना है जरुरी ।
अनुकूल या प्रतिकूल हो पल,
समभाव में रहना जरुरी ।
जीत का परचम जो प्यारा,
स्वीकार हो फिर हार भी ।
सुख बने अनमोल जब,
दुख का हो एहसास भी ।
व्यक्ति, वस्तु और स्थिति,
जो मिले स्वीकार कर
मन मेरे! स्थिर बुद्धि से फिर,
फैसले हर बार कर | 1
मत उछल तू गेंद बनकर,
दूसरों की राय से ।
सीख जीने की कला,
प्रेम व सद् भाव से ।
हो किसी से भूल तो,
माफ करना है जरूरी । |
माफ करने से ही संभव,
उदार मन की चाह पूरी ।
बस इसी पल में है जीना,
मान लेना है जरूरी ।
जिंदगी है तो प्राण का
लय में धड़कना है जरुरी ।
साधना और ज्ञान का,
मेल हो हर ध्यान में ।
"मैं ही ' सोहम मंत्र का
फिर जाप करना है जरूरी ।
निर्झरी आनंद की,
रसधार बन कर जब बहे।
कर नमन गुरूदेव को,
प्रतिदान करना है जरूरी ।
- सुमन शर्मा
Comments