top of page
Writer's pictureSuman Sharma

उड़ी - उड़ी रे पतंग !


छोटा सोनू पतंगबाजी देखकर लौटा था , बहनों से 'ए " और बी विंग के बीच होनेवाली प्रतिस्पर्धा का बखान करते हुए बोला , " दीदी , मुझे भी पतंग उड़ाना है ! और..मैं कम से कम तीन पतंगों को तो ज़रुर काट दूंगा। " दीदी के बदले स्वरा ही बीच में बोल पड़ी , " दूसरे की पतंग काटना क्यों ? यह तो अच्छी बात नहीं न दीदी ! हम दूसरों की पतंग क्यों काटेंगे ? अपनी पतंग उडायेंगे ऊँचे - खूब ऊँचे ... कितना मजा आयेगा । ठीक है न दीदी ? "

दीदी ध्वनि सात वर्ष के सोनू और ग्यारह वर्षीय स्वरा से तीन वर्ष ही बड़ी थी । ध्वनि ने मुस्कुरातें हुए कहा अब इस दुपहरी में पतंग लेने कहाँ जाओगे चलो, क्यों न हम अपनी पतंग खुद ही बनाएँ । सोनू और स्वरा दोनों अपना क्राफ्ट मटेरियल का बैग ले आओ । " सोनू और स्वरा तत्पर सिपाही की तरह आदेशों का पालन करने लगे । पतली तीलियाँ तंगुस जुटाने का इंतज़ाम भी स्वयं स्फूर्त तरीके से किया गया । सोनू ने कहा ," इतनी अच्छी पतंग तो किसी की नहीं होगी । ध्वनि दीदी तो कमाल है !

ध्वनि खिड़की से आसमान से उड़ते अनेक रंग बिरंगे पतंगों को सुबह से ही निहार रही थी । उन पतंगों को देखकर पतंगबाजी का ख्याल तो उसे भी आया था । वह चाहती थी उसकी पतंग आकाश में खूब ऊँचाई तक पहुंचे, पर विचार पल में आए गए हो गए । बाहर जाकर पतंगबाजी करना इस उम्र की लड़कियों को शोभा देगा ? शायद दादी और माँ को ठीक न लगे । सामाजिक दायरे और नियम शिष्टाचार कोई सिखाता है क्या ?

सोनू ने कहा , दीदी जल्दी चलो … ! ध्वनि के उत्तर देने के पहले ही हाथों में कई पतंग और मांजा लिए पिताजी बोल पड़े - " हाँ , हाँ जल्दी करो , ध्वनि ! और अपनी मम्मी को भी रसोई घर से बाहर ले आओ ।

ध्वनि अपनी पतंग की डोर थामें आकाश में उड़ान भरते पतंग को देखकर खुश थी कि पिताजी ने धीरे से कहा , " ध्वनि , इस विस्तृत आकाश पर सबका अधिकार है, और खुशी पर भी । इसकी डोर हमेशा हमेशा अपने हाथों में ही रखना । "


- सुमन शर्मा

3 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page