top of page

पिता

  • Writer: Suman Sharma
    Suman Sharma
  • May 24, 2023
  • 1 min read



हे पिता !

सुंदरतम जीवन के शिल्पकार !

धरती मेरे, मेरे आकाश !

तन- मन, जीवन गढ़ने में ,

पल पल आगे बढ़ने में ।

गिरने, उठने , उड़ने में ,

सुख दुख के अद्भुत मेले में ।

हर उलझन और झमेले में ,

मेरे रोने , मेरे हँसने में ।

हर एक डर से, लड़ने में,

साहस का संचार किया।

सपनों के सुंदर पंख दिए ,

उड़ने को आकाश दिया।

पूँजी अपार दे भावों की ,

समृद्ध मेरा संसार किया ।


सुंदरतम जीवन के शिल्पकार ,

धरती मेरे ,मेरे आकाश।


जीवन पथ पर बढने को ,

संबल था सदा पाथेय बना।

गुरु मंत्र दिया जो कानों में,

कर्मपथ पर कवच अभेद बना।

निज मन के राजा आप बने,

मैं राजनंदिनी बनी रही।

हे जनक मेरे, अंगना तेरे,

मैं सरिता सी स्वच्छंद बही ,

ह्रदय खिला रहा सुमनों जैसा ,

ऋतु मधु का ,जैसे आशीष मिला।

मेरी हर श्वास कहे मैं आभारी ,

जग में जनक, मुझे श्रद्धेय मिला ।`

~सुमन शर्मा





 
 
 

Recent Posts

See All
शाश्वत भविष्य के प्रति आशा

शाश्वत भविष्य की चिंता में संसार अपने 17 लक्ष्यों (Sustainable development goals ) के साथ शिक्षा से एक खास जिम्मेदारी की उम्मीद रखता है ।...

 
 
 

2 comentários

Avaliado com 0 de 5 estrelas.
Ainda sem avaliações

Adicione uma avaliação
Mohini Patel
Mohini Patel
12 de ago. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

Adbhut..🔥🔥

Curtir

Sunita Singh
Sunita Singh
18 de jun. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

👏👏👏

Curtir

© 2023 by Suman Sharma. All Rights Reserved.

bottom of page